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Thursday, December 10, 2009

जी का जंजाल ना बन जाए सूचना जाल

मानव सभ्यता आदिकाल से निरंतर प्रगति कर रही है। पत्थरों की टक्कर से अग्नि का जन्म और चक्र की खोज उसकी आरम्भिक प्राप्तियां थी। इसी तरह लिपि और फिर भाषा का उदय हुआ। भाषा के चलते संचार ने जन्म लिया और संप्रेषण बढ़ने से विकास को गति मिली। उसी गति पर सवार होकर आज हम 21वीं शताब्दी में पहुंच चुके हैं। इस लम्बे सफर में हमने बहुत कुछ खोया है परंतु उससे ज्यादा पाया है। हमारे द्वारा की गई प्रत्येक गलती ने हमें शिक्षा दी और आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। वर्तमान में संचार प्रौद्योगिकी में हुए विकास ने हमें सैटेलाईट टीवी, मोबाइल व इंटरनेट जैसे साधन देकर हमारा जीवन बहुत तीव्र कर दिया है। इन नवीनतम तकनीकों ने मानव जीवन में क्रांति ला दी है। आप अपने संबंधियों से हजारों किलोमीटर दूर होने के बावजूद लगातार उनके संपर्क में रह सकते हैं। आपसी विचारों के आदान प्रदान से हमारी समक्ष में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। घर बैठे आप दुनिया के किसी भी कोने की सूचना प्राप्त कर सकते हैं। सब कुछ आपके इशारे पर चलता है बस आप को करना है कि माऊस पर क्लिक करें। इन तकनीकी साधनों ने दुनिया को आपकी मुट्ठी में समेट दिया है। दूसरी और मनोरंजन के इन
 नए साधनों ने हमारे सामाजिक रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई है। हम अपनी दिनचर्या का ज्यादातर समय इन आधुनिक साधनों के साथ बिताते हैं और हमारे पास अपने परिवार जनों या मित्रों के साथ बातचीत करने का समय नहीं है। अधिक आकर्षण वाले ये माध्यम हमारी सेहत पर भी बुरा 
प्रभाव डाल रहे हैं। यही कारण है कि अनेक ऐसे रोगों का जन्म हो रहा है जिनका नाम हमने कभी सुना भी नहीं होता। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, केंसर व अनेक मानसिक रोग इसी की देन है। विज्ञान ने इन भयानक रोगों का ईलाज भी ढूंढ लिया है परन्तु फिर भी इनसे मरने वाले लोगों की तादाद निरंतर बढ़ती ही जा रही है। उसका कारण यह है कि जेसै ही वैज्ञानिक किसी बीमारी का ईलाज ढूढ़ने में सफल होते है साथ ही दो ओर भयानक रोग आ टपकते हैं। कुल मिलाकर हम अपने ही बनाए जाल में फंसते जा रहे है। वो भी ऐसा जाल है जिससे बच निकलना बहुत मुश्किल है। हमारी हालत वैसी ही है जैसी उस मकड़ी की होती है जो अपने बुने जाल में खुद फंस जाती है। इससे बचने के लिए हमें गंभीरता से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है क्योंकि यह हमारी जिंदगी का बहुत ज्यादा अहम हिस्सा बन चुके हैं। हो सकता है कि अधिकतर लोग मेरे इन विचारों से सहमत न हो। परन्तु यह एक ऐसा सच है, जब हमारे सामने आएगा तो हमारे लिए पीछे मुड़ना कठिन ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा।

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