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Tuesday, November 24, 2009

सच की कड़वाहट

हमने हमेशा पढ़ा व सुना है कि सच अत्यंत कड़वा होता है। सच्चाई के रास्ते पर चलना, अंगारों व कांटों से भरे रास्ते पर चलने के समान है। एक सच सौ क्षूठ के बराबर होता है । आज दुनिया में झूठे व लालची लोगों की भरमार है। सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले लोग लैंस लगाकर ढूंढने पर भी नहीं मिलते। अगर कुछ लोग सच्चाई के मार्ग पर चलने की कोशिश करते हैं, तो बार-बार उनका साहस तोड़ने व दबाने के प्रयास किए जाते हैं। अधिकतर मौकों पर वे कपटी अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। उनके कामयाब होने का कारण है सच्चे व्यक्ति का अकेला पड़ जाना व बुरे लोगों का पूरा गढ़ बन जाना। सच की हो रही लगातार हार को देखते हुए हर कोई इस रास्ते पर चलने से कतराता है। हमारा इतिहास ''अच्छाई की बुराई'' पर जीत से भरा पड़ा है। ऐसे बहुत से संत हुए जिन्होंने स्वयं इस रास्ते को अपनाकर हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। आज समय बदल गया है हम अच्छे और बुरे की पहचान करना ही भूल रहे हैं। मानव मानव का ही दुश्मन बन गया है। हर व्यक्ति चाहता है कि सब कुछ बस उसी के पास हो। पैसे के लालच ने हमें बिल्कुल अंधा कर दिया है। कोई कुछ भी कहता है हम आंखे बंद कर उस पर विश्वास कर लेते हैं। मेरा यह सब बातें करने का मकसद है इन दिनों पंजाबी के मशहूर गायक बब्बु मान का वह गाना जिसने पूरे पंजाब व सीमावर्ती प्रदेशों में खलबली मचा रखी है। गाने के बोल हैं ''इक बाबा नानक सी जिनें तुर के दुनिया गाहती, इक अज कल दे बाबे ने बत्ती लाल गड्डी ते लाती'' इस गाने के द्वारा उसने उन प्रचारकों व अपने आपको बाबे कहलाने वाले लोगों पर कटाक्ष किया है जो धर्म प्रचार के नाम पर भोली भाली जनता को मूर्ख बना रहे हैं।उनका काम तो लोगों को सही मार्ग पर दिखाना होता है परंतु वे स्वयं ही रास्ता भटके हुए दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने इसे व्यापार बना लिया है। वो धर्म की आड़ में अय्याशी कर रहे हैं। सरकारें भी इन्हें नहीं रोकती क्योंकि उनका ध्यान समाज सेवा की ओर नहीं बल्कि वोट बैंक की तरफ है। कई बार देखकर हैरानी होती है कि अनपढ़ लोग तो इन पाखंडियों का शिकार होते ही हैं ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है जो पढ़े लिखे हैं। बहुत दर्द होता है इस शिक्षित अज्ञानता को देखकर। ऐसे पाखंडी लोग ही बाद में धार्मिक दंगे करवाते हैं जिनका शिकार आम लोगों को होना पडता है। अगर हमारे देश में ऐसे लोगों की संखया बढ़ रही जो लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेल रहे है तो उसका सबसे बड़ा कारण है कि हम आज तक समक्ष नहीं पाए कि धर्म है क्या। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर अंग्रजों ने हिन्दुओं और मुसलमानों को बार- बार आपस में भिड़ाया। हे भारतवासियों हमें इस कमजोरी को सुधारना होगा। हमें अतीत से सीख कर अपने भविष्य को सुदृढ़ बनाना होगा। जो शिक्षाएं हमें अपने गुरूओं से मिली हैं उन्हीं को अपनाकर सच के रास्ते चलना होगा। उन शिक्षाओं के माध्यम से हम अपनी मानसिकता मजबूत कर सकते हैं ताकि ये मतलबी लोग हमें आपस में न लड़ा सके। साथ ही हमें उन लोगों का बढ़ चढकर साथ देना चाहिए जो बुराई के खिलाफ खड़ा होने का साहस करते हैं।