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Sunday, November 22, 2009

दो मौका लगाएं चौका


आज हमारा देश हर क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। बड़े शर्म की बात है कि कई छोटे-छोटे देश जो बाद में अस्तित्व में आए वे कई मामलों में हमें पछाड़ चुके हैं। इस तरह पिछड़ जाने का सबसे बड़ा कारण है कि नई व उन्नति की सोच रखने वाले लोगों का आगे न आना। ऐसा नहीं है कि वो लोग आगे आना नहीं चाहते, उन्हें आगे आने से रोका जाता है। हमारे देश में लोकतंत्र प्रणाली है, जनता द्वारा चुने गए नुमाईंदे या नेता देश की सत्ता संभालते हैं। उन्हीं सत्ताधारियों द्वारा ही देश के भविष्य व विकास की नीतियां बनाई जाती हैं। देश की निर्भरता राजनीति पर है परन्तु अब हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि लोगों का विश्वास राजनीति से उठता जा रहा है। उठे भी क्यों ना आम आदमी को न तो भर पेट भोजन मिल पा रहा है और न ही सुरक्षा। आखिर आम आदमी करे तो क्या करे। देश में अवसरवादी राजनीति का बोलबाला बढ़ता जा रहा है। उनका ध्यान बस पैसा कमाकर स्विस बैंक में जमा करवाने पर है। प्रत्येक नेता चाहता है कि नेता बनने के बाद उसके पास उच्च क्वालिटी की सुख सुविधाएं हों। उस बेचारी जनता कि कोई नहीं सुनता जो भूखे पेट आसमान की छत के नीचे सड़क के बीचों बीच सोती है। अधिकतर नेताओं को तो यह भी पता नहीं होगा कि रात में आसमान कैसा दिखता है। राजनीति कि इस दशा को देखकर आपके दिमाग में यही आता होगा कि हमारा भविष्य क्या है ? देश के पास आज बहुत बड़ी ताकत है जिसका इस्तेमाल कर वह अपने आप को संवार सकता है। वह ताकत है युवा शक्ति!
जो हमारी कुल जनसंख्या के आधे से भी अधिक हैएक सर्वे के अनुसार 75 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनकी आयु 35 वर्ष या इससे कम है। बस आवश्यकता है इस शक्ति का सही व उचित उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना। इस बार के चुनावों में युवाओं को शामिल करना अच्छा संकेत था परन्तु अभी भी बहुत कमियां है। वो ही लोग राजनीति में आगे आ रहे हैं जिनके पास राजनीति की विरासत है या पैसा बहुत अधिक है। देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं है जो देश की सत्ता संभालकर एक नयी दिशा देना चाहते हैं। उनका सपना है देश को खुशहाल व समृद्ध देखना परन्तु ऐसे लोगों को मौका ही नही मिल पा रहा क्योंकि देश के बुजुर्ग नेता रिटायर ही नहीं होना चाहते। बस अधिकतर लोग इसी बात के सहारे देश की सर्वोच्च कुर्सियों पर जमे हुए हैं कि अनुभव के बिना देश चलाया ही नहीं जा सकता। मुक्षे नहीं लगता कि दुनिया के जितने भी देश आज विकसित हैं उनका नेतृत्व किसी युवा के हाथ नहीं। हम अपने देश में ही देख सकते हैं कि अधिकतर कंपनियों के उच्च पदों पर युवा ही हैं जो अच्छी तरह से उन्हें संभाल ही नहीं रहे साथ ही साथ कामयाबियों के नए मुकाम भी बना रहे हैं। अतः उन लोगो को आगे आने देना चाहिए जो लगातार कह रहें है - दो मौका लगाएं चौका......